ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇ ਕੈ ਹੋਹੁ ਹਰਿਆ ਭਾਈ ॥ ਕਰਮਿ ਲਿਖੰਤੈ ਪਾਈਐ ਇਹ ਰੁਤਿ ਸੁਹਾਈ ॥ ਵਣੁ ਤ੍ਰਿਣੁ ਤ੍ਰਿਭਵਣੁ ਮਉਲਿਆ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਫਲੁ ਪਾਈ ॥ ਮਿਲਿ ਸਾਧੂ ਸੁਖੁ ਊਪਜੈ ਲਥੀ ਸਭ ਛਾਈ ॥ ਨਾਨਕੁ ਸਿਮਰੈ ਏਕੁ ਨਾਮੁ ਫਿਰਿ ਬਹੁੜਿ ਨ ਧਾਈ ॥੧॥
ਪੰਜੇ ਬਧੇ ਮਹਾਬਲੀ ਕਰਿ ਸਚਾ ਢੋਆ ॥ ਆਪਣੇ ਚਰਣ ਜਪਾਇਅਨੁ ਵਿਚਿ ਦਯੁ ਖੜੋਆ ॥ ਰੋਗ ਸੋਗ ਸਭਿ ਮਿਟਿ ਗਏ ਨਿਤ ਨਵਾ ਨਿਰੋਆ ॥ ਦਿਨੁ ਰੈਣਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਦਾ ਫਿਰਿ ਪਾਇ ਨ ਮੋਆ ॥ ਜਿਸ ਤੇ ਉਪਜਿਆ ਨਾਨਕਾ ਸੋਈ ਫਿਰਿ ਹੋਆ ॥੨॥
ਕਿਥਹੁ ਉਪਜੈ ਕਹ ਰਹੈ ਕਹ ਮਾਹਿ ਸਮਾਵੈ ॥ ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਖਸਮ ਕੇ ਕਉਣੁ ਕੀਮਤਿ ਪਾਵੈ ॥ ਕਹਨਿ ਧਿਆਇਨਿ ਸੁਣਨਿ ਨਿਤ ਸੇ ਭਗਤ ਸੁਹਾਵੈ ॥ ਅਗਮੁ ਅਗੋਚਰੁ ਸਾਹਿਬੋ ਦੂਸਰੁ ਲਵੈ ਨ ਲਾਵੈ ॥ ਸਚੁ ਪੂਰੈ ਗੁਰਿ ਉਪਦੇਸਿਆ ਨਾਨਕੁ ਸੁਣਾਵੈ ॥੩॥੧॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
हरि का नामु धिआइ कै होहु हरिआ भाई ॥ करमि लिखंतै पाईऐ इह रुति सुहाई ॥ वणु त्रिणु त्रिभवणु मउलिआ अम्रित फलु पाई ॥ मिलि साधू सुखु ऊपजै लथी सभ छाई ॥ नानकु सिमरै एकु नामु फिरि बहुड़ि न धाई ॥१॥
पंजे बधे महाबली करि सचा ढोआ ॥ आपणे चरण जपाइअनु विचि दयु खड़ोआ ॥ रोग सोग सभि मिटि गए नित नवा निरोआ ॥ दिनु रैणि नामु धिआइदा फिरि पाइ न मोआ ॥ जिस ते उपजिआ नानका सोई फिरि होआ ॥२॥
किथहु उपजै कह रहै कह माहि समावै ॥ जीअ जंत सभि खसम के कउणु कीमति पावै ॥ कहनि धिआइनि सुणनि नित से भगत सुहावै ॥ अगमु अगोचरु साहिबो दूसरु लवै न लावै ॥ सचु पूरै गुरि उपदेसिआ नानकु सुणावै ॥३॥१॥
ik-oNkaar satgur parsaad.
har kaa naam Dhi-aa-ay kai hohu hari-aa bhaa-ee.
karam likhantai paa-ee-ai ih rut suhaa-ee.
van tarin taribhavan ma-oli-aa amrit fal paa-ee.
mil saaDhoo sukh oopjai lathee sabh chhaa-ee.
naanak simrai ayk naam fir bahurh na Dhaa-ee. ||1||
panjay baDhay mahaabalee kar sachaa dho-aa.
aapnay charan japaa-i-an vich da-yu kharho-aa.
rog sog sabh mit ga-ay nit navaa niro-aa.
din rain naam Dhi-aa-idaa fir paa-ay na mo-aa.
jis tay upji-aa naankaa so-ee fir ho-aa. ||2||
kithhu upjai kah rahai kah maahi samaavai.
jee-a jant sabh khasam kay ka-un keemat paavai.
kahan Dhi-aa-in sunan nit say bhagat suhaavai.
agam agochar saahibo doosar lavai na laavai.
sach poorai gur updaysi-aa naanak sunaavai. ||3||1||